Punjab की Haryana से बड़ी मांग, SYL से पानी नहीं देंगे, यमुना का पानी चाहिए
Punjab और Haryana के बीच जल विवाद एक बार फिर से गरमा गया है। हाल ही में उत्तर क्षेत्र परिषद स्थायी समिति की बैठक में सतलुज यमुना लिंक नहर (SYL) सहित विभिन्न जल मुद्दों पर चर्चा की गई, लेकिन किसी भी विषय पर सहमति नहीं बनी। इस बैठक में कुल 68 मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें पंजाब की ओर से मुख्य सचिव केएपी सिन्हा और संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
SYL पर पंजाब का स्पष्ट असहमति
पंजाब ने हरियाणा के SYL निर्माण की मांग को एक बार फिर से सीधे तौर पर अस्वीकार कर दिया। पंजाब सरकार ने स्पष्ट किया कि उसके पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। इसके बजाय, पंजाब ने यमुना जल का अपना हिस्सा मांगने की मांग की, जिस पर हरियाणा ने आपत्ति जताई। हरियाणा ने कहा कि पंजाब ने पहले कभी इस हिस्से की मांग नहीं की थी।
जल विवाद पर विरोधाभास
बैठक के दौरान, राजस्थान और हरियाणा सरकार के अधिकारियों ने नदी के पानी से संबंधित विभिन्न समझौतों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हेडवर्क्स के अधिकार केवल पंजाब के पास नहीं होने चाहिए, बल्कि राजस्थान और हरियाणा को भी इन अधिकारों का हिस्सा मिलना चाहिए। इस पर पंजाब ने कड़ा विरोध किया।
भूमि के CLU मुद्दे पर चर्चा
बैठक में भूमि के CLU (Change of Land Use) मुद्दे पर भी चर्चा हुई। पंजाब ने भाखड़ा मुख्य लाइन पर 30 स्थानों का उल्लेख किया और कहा कि इन स्थानों पर दो मेगावॉट के जनरेशन प्लांट स्थापित किए जा सकते हैं। हालांकि, हरियाणा ने इस पर आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि इससे यहां पानी की धारा प्रभावित होगी।
ऊर्जा की T&D हानियों को कम करने की सलाह
भारत सरकार के अधिकारियों ने सभी संबंधित राज्यों को बिजली के ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन (T&D) हानियों को कम करने की सलाह दी। इसके अलावा, नेशनल हाईवे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित CLU मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा के लिए भूमि का मुद्दा
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि हरियाणा विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में भूमि देने पर सहमति बनाई जाएगी। हरियाणा सरकार ने चंडीगढ़ प्रशासन के साथ नए विधानसभा परिसर के लिए एक एकड़ भूमि के लंबे समय से लंबित मामले को उठाया। बैठक में यह तय किया गया कि हरियाणा सरकार और यूटी प्रशासन एक साथ बैठकर इस मामले पर निर्णय लेंगे।
पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद के मुद्दे ने एक बार फिर से राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है। SYL से पानी की आपूर्ति पर पंजाब की सख्ती हरियाणा के लिए एक चुनौती बन सकती है, जबकि पंजाब की यमुना जल हिस्सेदारी की मांग इस विवाद को और भी जटिल बनाती है।
इस तरह के मुद्दों पर सहमति न होना न केवल दोनों राज्यों के बीच तनाव को बढ़ा रहा है, बल्कि इस जल विवाद का असर आने वाले समय में दोनों राज्यों के विकास और सहयोग पर भी पड़ सकता है।
जल और भूमि के मुद्दों पर सहमति की आवश्यकता है ताकि दोनों राज्यों में विकास की गति बनी रहे। क्या पंजाब और हरियाणा इस जल विवाद को सुलझा पाएंगे? यह भविष्य के घटनाक्रम पर निर्भर करेगा।